बड़ा निर्लज्ज है मेरा
मकान मालिक
मांगने को तो माचिस की तीलियाँ तक
उधार मांग लेता है
हाँ
मगर देने को
दुआ तक नहीं देता
सरकारी मुलाजिम है "मकान मालिक"
**
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(यथा राजा तथा प्रजा )
मकान मालिक
मांगने को तो माचिस की तीलियाँ तक
उधार मांग लेता है
हाँ
मगर देने को
दुआ तक नहीं देता
सरकारी मुलाजिम है "मकान मालिक"
**
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(यथा राजा तथा प्रजा )
:)
ReplyDelete:)
ReplyDeleteक्या वाकई ? इतने संवेदनहीन हैं सरकारी मुलाजिम ....
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