Thursday, November 15, 2012

जाने दो

मैं दंगाई नहीं

मैं आज तक

नहीं गया

किसी मस्जिद तक

किसी मंदिर के अन्दर क्या है

मैंने नहीं देखा,



सुनो

रुको

मुझे गोली न मारो

भाई

तुम्हे तुम्हारे मजहब का वास्ता

मत तराशो अपने चाक़ू

मेरे सीने पर,



जाने दो मुझे

मुझे

तरकारियाँ ले जानी हैं



माँ

रोटिया बेल रही होंगी!



*amit anand 

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