Monday, May 7, 2012

खुले शूलेस

बड़े स्कूलों की दीवाल भी
हड़प लेते हैं
बड़े बड़े चेहरे ,

उड़ती मछलियाँ
गीत गाती तितलियाँ
मटकते बौने / सेब /आम/अनार

गुम जाते हैं
बचपन के  की तरह ..
...
उनपे टंग जाते हैं
खिचड़ी बालों वाले न्यूटन
अजीब सी मूंछों वाले मार्क्स ....

बड़े का अदब हमें बड़ा बनाता हों शायद!

*amit anand

1 comment:

  1. बड़े का अदब हमें बड़ा बनाता हों शायद………वाह !

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