Wednesday, March 23, 2011

बीते हुए लोग


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बीतता नहीं
दिन
बस
लोग बीत जाते हैं,

दिन तो
आता ही है
हर रात के बाद,

बीते हुए लोग
मगर
लौट कर नहीं आते हैं!!

*amit anand

Monday, March 14, 2011

खाली बर्तन


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उफनते दूध सी
तुम्हारी नेह...
ढलकती ही रही बार बार

और
सारे गिले शिकवे
प्यार मनुहार ,

बहते रहे...

बहती रहीं सुधियाँ
स्नेह
आलिंगन
स्पर्श ....

सब कुछ

और

आखिर मे
परिस्थिति के चूल्हे पर
देह का खाली बर्तन
सूना पड़ा था!!

*amit anand

Monday, March 7, 2011

महिला दिवस


पीठ पर बड़ी वाली
पन्नी टांग
मुंह अँधेरे
निकल पडी है
आठ साल की
गुनिया,

शहर के कचरे मे
पेट की
भूंख तलाशने,

मोहल्ला - मोहल्ला
कूड़ेदान दर कूड़ेदान
खुले नालों
होटल के जूठन
अस्पताल के कचरे मे
गुनिया तलाशती है
अपने भीतर
भविष्य की औरत

सुना है
आज
महिला दिवस है!!

*amit anand

Sunday, March 6, 2011

प्रतीक्षित


चार पांच दिन से
आती थी
एक
सतरंगी तितली
दरवाजे के गुलाब पर,

कुछ दिन पहले
साख पर
कलियाँ आयीं थीं,

अधखिली कलियाँ

पिछले तमाम दिनों से
मैंने
तितली के साथ ही
भोगी थी
प्रस्फुटन की प्रतीक्षा,

और
ऊब कर
कल से नहीं गया
गुलाब तक!

आज
सुबह मुझे
गुलाब की कंटीली साख पर
तितली के पर मिले हैं,

सतरंगे ... कोमल पर !!

शायद तितली....
प्रतीक्षित ही मर गयी!!

*amit anand

Friday, March 4, 2011

चल भाई

चल भाई काम पर चलते हैं
उठ तो...
जाग...
सपने मत देख
सपने सिर्फ चलते हैं!

मुंह धुल
रात की बासी रोटी खा
पैर के घाव मत देख
घाव पर
सड़क की मिटटी मलते हैं,

चल भाई चलते हैं

चल चल
आज सड़क को बन जाना है
आखिर साहब को
इसी राह जाना है

मजूरी की मत सोच
मजूरी से ही तो
ठीकेदार अमीर बनते हैं!

चल भाई चलते हैं

उठ
बीवी को जगा
काम पर लगा
बच्चे को तसले मे डाल
मत कर मलाल,

बुखार है तो क्या
मत डर

मजूरों के बच्चे
ऐसे ही तसलों मे पलते हैं

चल देर हों रही
चल भाई चलते हैं!!

देर आना कर
उठा फावड़ा
मिटटी भर
देर हुयी तो ठीकेदार का दाम रुकेगा
दुःख होगा उसे
बीवी के गहने ... बेटे की गाडी सब रुकेंगे

पाप लगेगा
उनका श्राप लगेगा

धीर धर
श्रद्धा से पुण्य कमा
जोर लगा सड़क बना

मत सोच की हमारे दुःख दर्द
ठीकेदार को
कब खलते हैं

चल हाथ बाधा
कंधा जोड़
चल भाई! काम पर चलते हैं!!

*amit anand