Friday, January 7, 2011

तली के अँधेरे

राम!
तुम सर्व पूजित!
मर्यादा पुरुषोत्तम कैसे..

आओ
हमारे सामने तो आओ
यहाँ
दो दो
आईने हैं
तुम्हारा सत्य तुम्हारे आगे होगा!

तुमने
कौन सा कर्त्तव्य वहन किया
हमारे लिए
क्या
तुम्हारी अयोध्या मे
सिर्फ
जंगल ही शेष थे
हमारे प्रसव को,

हमारा शैशव
अभावग्रस्त क्यूँ राम

हमारी माँ
तुम्हारी अर्धांगिनी
आखिर उसको ही क्या
दे पाए तुम?

तुम भले ही प्रकाशपुंज हो
लेकिन
राम
याद रखो
हम
तुम्हारी ही
तली के अँधेरे हैं
तुम्हारे बेहद अपने!

*amit anand

3 comments:

  1. बहुत बढ़िया prashan किया है...राम को सोचने पर मजबूर कर दिया तुम्हारी कलम की ताकत ने...लिखते रहना...मेरा आशीष है तुम्हरे साथ...

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  2. इन प्रश्नों के उत्तर तो हमें भी चाहिए .... बहुत खूब

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  3. तुमने
    कौन सा कर्त्तव्य वहन किया
    हमारे लिए
    क्या
    तुम्हारी अयोध्या मे
    सिर्फ
    जंगल ही शेष थे
    हमारे प्रसव को,
    realy very nice ..........

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